
आखिर क्यों बस जाते हैं दिल में बिना इजाज़त लिए

बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से, बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से |

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है, जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है

उन्होंने देखा और हमारे आंसू छलक पड़े, जैसे भरी बरसात में फूल बिखर पड़े

इस फरेबी दुनिया में मुझे दुनियादारी नहीं आती |

ताउम्र न सही कुछ लम्हों का साथ तो दो

दिल की तमन्ना इतनी है कुछ ऐसा मेरा नसीब हो |

किस हक़ से मांगू अपने हिस्से का वक्त तुमसे |

जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें, उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।

बहुत आसान है इश्क़ में हार के खुदखुशी कर लेना |